
कृषि को व्यवसाय, किसानों को उद्यमी बनाकर पूरा होगा विकसित भारत का संकल्प – नवीन जिन्दल
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- March 24, 2025
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भारतीय किसानों को एग्री-उद्यमी बनाने की जरूरत: सांसद नवीन जिन्दल
लोकसभा में बोलते हुए सांसद नवीन जिन्दल ने भारतीय किसानों को एग्री-उद्यमी बनाने और कृषि क्षेत्र को लाभदायक एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प के तहत कृषि में नीतिगत सुधारों, आधुनिकीकरण और वैश्विक व्यापार विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि भारतीय कृषि अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा कर सके और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि भारत में किसानों को केवल अन्नदाता के रूप में नहीं, बल्कि एग्री-उद्यमी के रूप में देखा जाना चाहिए, जो मूल्य संवर्धन, निर्यात और नवाचार के जरिए कृषि को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकें।
नवीन जिन्दल ने कृषि के व्यापक सुधारों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि कृषि मूल्य श्रृंखला के सभी चरणों में सुधार करना होगा। उन्होंने कहा कि उत्पादन तकनीकों को आधुनिक बनाने, उच्च उत्पादकता वाली फसलें अपनाने और वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ाना आवश्यक है। इसके अलावा, आधुनिक कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउसिंग और भंडारण केंद्र विकसित करने से कटाई के बाद होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। उन्होंने कृषि उत्पादों की सुचारू आपूर्ति के लिए ग्रामीण सड़कों, लॉजिस्टिक्स और रेलवे नेटवर्क के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे किसान अपनी उपज को आसानी से बाजार तक पहुंचा सकें।
उन्होंने किसानों को सीधा बाजार से जोड़ने, डिजिटल प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देने और बिचौलियों की भूमिका कम करने के लिए उचित मूल्य निर्धारण नीतियों को लागू करने की भी वकालत की। उनका मानना है कि कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए उन्हें हर उपभोक्ता तक सुलभ और किफायती बनाना आवश्यक है। इसके साथ ही, उन्होंने भारतीय किसानों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि अवसरों को विस्तारित करने का प्रस्ताव रखा, जिससे किसान विदेशी भूमि पर कृषि कार्य कर सकें और भारत की खाद्य सुरक्षा मजबूत हो सके।
सांसद नवीन जिन्दल ने लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए ₹1.37 लाख करोड़ के कृषि बजट का स्वागत किया और पीएम धन-धान्य कृषि योजना में हरियाणा को शामिल करने की मांग की। उन्होंने किसानों की आय सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई और कहा कि अभी भी किसानों की औसत दैनिक आय न्यूनतम मजदूरी से कम है। उन्होंने कृषि क्षेत्र में भंडारण और लॉजिस्टिक्स में सुधार लाने की आवश्यकता जताई, जिससे हर साल ₹1.5 लाख करोड़ की कटाई के बाद होने वाली फसल की बर्बादी को रोका जा सके।
उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, एआई-आधारित कृषि निगरानी प्रणाली अपनाने और सौर ऊर्जा से संचालित भंडारण सुविधाओं की स्थापना करने का सुझाव दिया, जिससे कृषि को अधिक टिकाऊ और लाभदायक बनाया जा सके। उनका मानना है कि कृषि व्यापार नीतियों को उदार बनाकर और निर्यात को बढ़ावा देकर भारतीय कृषि को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है।
सांसद ने कहा कि अब समय आ गया है कि किसानों को आवश्यक संसाधन, तकनीक और नीतिगत सहायता प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए। उन्होंने कहा कि समृद्ध किसान ही समृद्ध राष्ट्र की नींव रखते हैं और कृषि क्षेत्र को मजबूत करना भारत को खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण विकास और सतत आर्थिक वृद्धि में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बना सकता है। उन्होंने नीति निर्माताओं, उद्योग जगत और किसानों के साथ मिलकर कृषि क्षेत्र को एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी शक्ति में बदलने की प्रतिबद्धता जताई।
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