शिक्षा और संरचना में बदलाव: हिमाचल के रोनहाट में नई पहल से उम्मीदों को मिला सहारा

शिक्षा और संरचना में बदलाव: हिमाचल के रोनहाट में नई पहल से उम्मीदों को मिला सहारा

हिमाचल प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में शिक्षा को लेकर किए जा रहे प्रयास धीरे-धीरे ठोस ज़मीन पर उतरते दिख रहे हैं। राज्य के सिरमौर जिले के रोनहाट क्षेत्र में हाल ही में खंड प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय की स्थापना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। इस कार्यालय का शुभारंभ प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर द्वारा किया गया, जिसमें उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान भी उपस्थित रहे।

यह उद्घाटन मात्र एक प्रशासनिक गतिविधि नहीं, बल्कि सामाजिक विकास की उस प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमें शिक्षा को केंद्र में रखते हुए सुदूर क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। रोनहाट के निवासियों के लिए यह कार्यालय एक प्रतीक बन चुका है — उस परिवर्तन का जो वर्षों से प्रतीक्षित था।

विकास की लंबी प्रतीक्षा और शिक्षा के केंद्र की स्थापना

इससे पहले अध्यापकों और अभिभावकों को प्रशासनिक कार्यों के लिए बकरास जैसे अन्य दूरवर्ती क्षेत्रों का रुख करना पड़ता था, जिससे शिक्षा की प्रक्रिया में अनावश्यक अड़चनें आती थीं। अब रोनहाट में खंड प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय की स्थापना से न केवल प्रशासनिक सहूलियत बढ़ेगी बल्कि शिक्षा तंत्र भी मजबूत होगा। यह स्थानीय समुदाय की भागीदारी और सहूलियत के लिहाज़ से एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।

हर्षवर्धन चौहान ने अपने संबोधन में बताया कि शिलाई विधानसभा क्षेत्र में 200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास योजनाएं कार्यान्वयनाधीन हैं, जिनमें सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने की योजनाएं शामिल हैं। ये योजनाएं यह संकेत देती हैं कि क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने की नीति अब दस्तावेज़ों से आगे निकलकर ज़मीनी हकीकत बन रही है।

शिक्षक नियुक्तियों और शिक्षा सुधारों की व्यापक तस्वीर

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आंकड़ों के ज़रिए प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को सामने रखा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने दो वर्षों में 700 प्रवक्ता नियुक्त किए, जिनमें से 56 सिरमौर में तैनात किए गए हैं। यह संख्या उस स्थिति के बिल्कुल विपरीत है जहां पूर्ववर्ती सरकार ने पूरे कार्यकाल में महज़ 511 प्रवक्ताओं की नियुक्ति की थी।

प्रदेश के 68 स्कूल ऐसे थे जहां एक भी अध्यापक नहीं था — यह आंकड़ा अब घटकर आठ पर पहुंच चुका है। पूरे राज्य में यह संख्या 350 से घटकर केवल 50 रह गई है। ये बदलाव यह दर्शाते हैं कि सरकार अब केवल अधोसंरचना नहीं, बल्कि मानवीय संसाधनों को भी प्राथमिकता दे रही है।

डे बोर्डिंग स्कूल और शिक्षा की नई रूपरेखा

प्रदेश सरकार चरणबद्ध रूप से ‘राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल’ खोलने की योजना पर काम कर रही है। यह मॉडल स्कूली बच्चों को शैक्षणिक, मानसिक और सामाजिक विकास के लिए एक समग्र वातावरण देने की दिशा में एक प्रयोगधर्मी कदम है। शिक्षा मंत्री ने सतौन में एक ऐसे ही स्कूल के लिए तीन करोड़ रुपये की घोषणा की और लादी क्षेत्र में छह स्कूलों की मरम्मत और विस्तारीकरण के लिए भी बजट स्वीकृति की बात कही।

इन पहलों का समग्र उद्देश्य सिर्फ स्कूल खोलना नहीं, बल्कि स्कूल की गुणवत्ता को इस स्तर तक ले जाना है जहां शिक्षा सिर्फ डिग्री प्राप्त करने का माध्यम न रहे, बल्कि सामाजिक चेतना, आलोचनात्मक सोच और समावेशी समाज की नींव रख सके।

असर रिपोर्ट और शिक्षा में हिमाचल की छवि

जनवरी 2025 में प्रकाशित वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) में हिमाचल प्रदेश को देश में सर्वश्रेष्ठ पठन कौशल वाला राज्य माना गया है। यह उपलब्धि संयोग नहीं, बल्कि राज्य सरकार की निरंतर और रणनीतिक शिक्षा नीतियों का प्रतिफल है। एक स्वतंत्र सर्वेक्षण में भी पाया गया कि छात्रों के सीखने के स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

यह परिणाम दिखाते हैं कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति, नीति निर्धारण और कार्यान्वयन एक रेखा में चलते हैं, तो दूरदराज़ के पहाड़ी क्षेत्र भी देश के शैक्षिक मानचित्र पर एक चमकदार बिंदु बन सकते हैं।

 

Disclaimer: यह लेख विभिन्न सरकारी स्रोतों, सार्वजनिक भाषणों और प्रेस विज्ञप्तियों पर आधारित है।

#EducationReform #HimachalDevelopment #InclusiveGrowth #RuralEducation #PolicyMatters

Related post

संजौली में चार मंजिला मस्जिद अवैध करार, गिराने का आदेश जारी

संजौली में चार मंजिला मस्जिद अवैध करार, गिराने का…

हिमाचल प्रदेश की शांत पहाड़ियों में बसा शिमला, अपनी औपनिवेशिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। लेकिन इन…
The Fragile Backbone of Democracy: Journalism in the Age of Disruption

The Fragile Backbone of Democracy: Journalism in the Age…

Saptrishi Soni : In today’s rapidly evolving media landscape, the foundational ideals of journalism—truth, accountability, and public service—face an unprecedented crisis.…
प्रेस की चुप्पी, रीलों का शोर: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ट्रेंडिंग टैग बन गया

प्रेस की चुप्पी, रीलों का शोर: लोकतंत्र का चौथा…

“प्रेस स्वतंत्रता दिवस: एक इतिहास, एक याद” प्रेस स्वतंत्रता दिवस अब औपचारिकता बनकर रह गया है। पत्रकारिता की जगह अब सोशल…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *