ऊना जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने नशे के खिलाफ अपने सबसे सख्त और व्यापक अभियान—‘एंटी-चिट्टा अभियान’—को एक बार फिर तेज कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों से हिमाचल प्रदेश में नशे की समस्या गंभीर रूप से बढ़ी है, जिसमें चिट्टा (सिंथेटिक ड्रग) सबसे खतरनाक रूप ले चुका है। ऐसे में ऊना प्रशासन ने हाल के दिनों में गांवों, कस्बों और सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार दबिशें देते हुए नशे के नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकने की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाए हैं।
अभियान की मॉनिटरिंग जिला स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जा रही है। पुलिस टीमों को छोटे-छोटे विशेष दलों में बांटा गया है, जिन्हें नशा सप्लाई चैन से जुड़े स्थानों पर आकस्मिक छापेमारी करने का अधिकार दिया गया है। पुलिस न केवल संदिग्ध स्थानों पर दबिश दे रही है, बल्कि नशे की तस्करी में शामिल व्यक्तियों की आर्थिक संपत्तियों की जांच भी शुरू कर चुकी है। कई मामलों में आरोपियों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया भी चल रही है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नशे का कारोबार अक्सर पड़ोसी राज्यों के माध्यम से ऊना में प्रवेश करता है, इस कारण जिला सीमाओं पर विशेष चेक-पोस्ट स्थापित किए गए हैं। वहां हर वाहन की कड़ी जांच की जा रही है, खासकर रात के समय चलने वाले ट्रकों और निजी वाहनों की। इन चेक-पोस्टों पर प्रशिक्षित डॉग स्क्वाड और ड्रग-डिटेक्शन यूनिट्स भी तैनात किए गए हैं।
अभियान केवल पुलिस कार्रवाई तक सीमित नहीं है। जिला प्रशासन ने शिक्षण संस्थानों में जागरूकता अभियान भी तेज किया है। स्कूलों और कॉलेजों में विशेष व्याख्यान, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर प्रतियोगिताएं और छात्रों के लिए काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि नशा केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, मानसिक और पारिवारिक संकट का रूप ले चुका है, इसलिए समाज के हर वर्ग को इस लड़ाई में साझेदार बनना होगा।
ग्राम पंचायतों की भूमिका भी इस अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिले के सैकड़ों पंचायत प्रतिनिधियों ने लिखित रूप में यह संकल्प लिया है कि उनके गांवों में नशे के किसी भी रूप को पनपने नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना पंचायत या पुलिस को दें, ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके।
इसके अलावा जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया को भी एक शक्तिशाली हथियार की तरह इस्तेमाल करने का फैसला किया है। विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर नशे के दुष्परिणामों, पुनर्वास कहानियों और प्रशासन की कार्रवाई से जुड़े अपडेट साझा किए जा रहे हैं। इससे लोगों में जागरूकता बढ़ी है और कई परिवार उन युवाओं को आगे लाने के लिए प्रेरित हुए हैं जो नशे के शिकार हो चुके हैं।
पिछले महीने में पुलिस ने कई सफल कार्रवाई करते हुए चिट्टा, गांजा, चरस और अन्य अवैध पदार्थों की भारी मात्रा बरामद की है। नशा तस्करी से जुड़े 50 से अधिक आरोपी गिरफ्तार हुए हैं। कुछ मामलों में पुलिस ने उन गैंगों का भंडाफोड़ किया है जो देहाती इलाकों में युवाओं को सस्ते नशे का आदी बना रहे थे।
जिला प्रशासन का दावा है कि अभियान का सबसे बड़ा असर यह हुआ है कि युवाओं के बीच नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ी है। कई युवा स्वयंसेवी समूह बनाकर अपने गांवों में ‘नो-ड्रग जोन’ आंदोलन चला रहे हैं। प्रशासन ने कहा कि जब तक ऊना को पूरी तरह नशा-मुक्त जिला नहीं बना दिया जाता, तब तक अभियान बिना किसी ढील के चलेगा।





