
गाय के गोबर से बना डाला बहुत कुछ, मंडी शिवरात्रि मेला में उत्सुकता और दिलचस्पी से देखा हज़ारों ने मुख्यमंत्री ने भी सराहा
- Aap ke LiyeHindi NewsMANDI
- March 6, 2023
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बीरबल शर्मा
मंडी, 6 मार्च।
गाय के गोबर के पुराने जमाने के घरों में लिपाई पुताई तथा उपले बनाने जैसे उपयोग तो सभी जानते हैं लेकिन आज के अत्याधुनिक दौर में गाय के गोबर से यदि आम जन जीवन में काम आने वाली चीजें बनाई जा सकती हों तो यह अपने आप में एक नई खोज करने जैसा है। ऐसी ही एक खोज करके तुंगल क्षेत्र की ग्राम पंचायत साई के चलोह गांव के एक नवयुवक कर्ण ने एक नए स्टार्टअप की शुरुआत की है। करण गाय के गोबर से मूर्तियां, शोपीस तथा नाम पट्टिका , चप्पल, टाइलें तथा ईंट जैसी अद्भुत चीजों का उत्पादन करके एक उद्योग की बुनियाद रख चुके हैं। शुरुआत में गाय के गोबर से अनेकों चीजों के उत्पादन को प्रदेश भर में पसंद किया जाता रहा लेकिन अब उनकी मांग देश के अन्य हिस्सों से भी आने लगी है। आगामी 15 मार्च को तेलंगाना के हैदराबाद में गाय के गोबर से बनी चीजों की एक प्रदर्शनी लगाने के लिए करण को आमंत्रित किया गया है। इस अनूठे स्टार्टअप की प्रेरणा करण को रोहतक की एक इंडस्ट्री वैदिक प्लास्टर से मिली थी जहां गाय के गोबर से सीमेंट का उत्पादन किया जाता था। उसके बाद उन्होंने अपने गांव में गांव गाय का गोबर इकट्ठा करके कई चीजें बनाने का सफल प्रयोग किया। हिमाचल सरकार जहां किसानों से गाय के गोबर को ₹2 प्रति किलो खरीदने का दावा करती है वही करण आसपास के गांव के किसानों से ₹5 प्रति किलो गोबर खरीदते हैं जिससे कि उनके स्टार्टअप का लाभ ग्रामीणों को भी मिलने लगा है। करण बताते हैं कि फिलहाल उन्होंने अपने गांव में श्री कामधेनु पंचगव्य उद्योग के नाम से एक छोटी सी इकाई स्थापित की है। उन्होंने डीआरडीए तथा खंड विकास कार्यालय का आभार व्यक्त किया है कि उन्होंने उन्हें सरस मेला तथा अन्य अवसरों के माध्यम से अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने तथा प्रचार प्रसार का मौका दिया है। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर से उत्पादन करने वाला प्रदेश का यह पहला स्टार्टअप उद्योग है। लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस है कि ना तो पूर्व की भाजपा सरकार ना ही वर्तमान में बनी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने उनके इस उद्योग को तरजीह दी है। जबकि वे पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तथा वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम की भव्य पट्टिका बनाकर उन्हें भेंट कर चुके हैं।उन्होंने कहा यदि सरकार उनकी मदद करती है जो यह उद्योग आने वाले समय में बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाने में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। फिलहाल उनकी ग्रामीण इकाई में 10 से 15 महिलाएं काम करके आजीविका कमा रही हैं। उनका दावा है यदि सरकार की मदद से एक बड़ा उद्योग स्थापित किया गया तो स्थानीय किसानों के साथ-साथ सैकड़ों बेरोजगार हाथों को काम मिल सकता है।