शहादत की आग में तपकर जिसने अनगिनत देशवासियों की बहनों की रक्षा का पवित्र वचन निभाया, वही वीर इस बार अपनी बहन की डोली उठते देखने के लिए मौजूद नहीं था। लेकिन उनकी अनुपस्थिति को इस कदर पूरा किया गया कि पूरा गांव गर्व और गम की भावना से भर उठा। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला, पांवटा साहिब उपमंडल के गिरिपार क्षेत्र के भरली गांव में यह मार्मिक और ऐतिहासिक पल सामने आया, जब शहीद ग्रेनेडियर आशीष कुमार की बहन आराधना (पूजा) का विवाह उनके फौजी साथियों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
आशीष कुमार ने 27 अगस्त 2024 को अरुणाचल प्रदेश में “ऑपरेशन अलर्ट” के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी शहादत ने परिवार और गांव को गहरे आघात में डुबो दिया था। मगर विवाह के इस पावन अवसर पर आशीष की अनुपस्थिति को भरने के लिए उनकी रेजिमेंट के जवान और भूतपूर्व सैनिक संगठन पांवटा साहिब तथा शिलाई क्षेत्र के सदस्य पहुंचे। उन्होंने बहन की हल्दी की रस्म से लेकर विदाई तक हर जिम्मेदारी बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए पूरी की।
वर्दी पहने इन जाँबाज़ों की मौजूदगी ने वातावरण को गहरे भावनात्मक रंग से भर दिया। हर रस्म निभाते समय उनकी आँखों में छलकते आँसू और श्रद्धा ने वहां मौजूद हर व्यक्ति के दिल को छू लिया। ऐसा लगा मानो शहीद आशीष कुमार स्वयं अपने साथियों के रूप में वहां खड़े होकर आशीर्वाद दे रहे हों।
यह अनूठा दृश्य सेना के उस अद्वितीय बंधन का जीवंत उदाहरण बन गया, जो खून के रिश्तों से भी ऊपर माना जाता है। इस पहल ने साफ कर दिया कि भारतीय सेना अपने शहीदों को कभी अकेला नहीं छोड़ती और उनके परिवार को सदैव अपने संरक्षण और सम्मान की परिधि में रखती है।
भरली गांव की इस शादी ने न केवल हर आंख को नम किया, बल्कि हर सीने को गर्व से चौड़ा भी कर दिया। यह घटना सेना की उस अमर परंपरा को नए सिरे से परिभाषित करती है, जिसमें बलिदान देने वाले वीरों का परिवार पूरे देश का परिवार बन जाता है।
