हरियाणा में बीते 10 महीनों से नियमित राजस्व सचिव की तैनाती लंबित, लिंक व्यवस्था के सहारे चल रहा विभागीय कामकाज

चंडीगढ़ — यह तथ्य भले ही पहली नजर में असामान्य प्रतीत हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि हरियाणा सरकार में पिछले लगभग दस महीनों से अतिरिक्त मुख्य सचिव और वित्तायुक्त–राजस्व, जिसे सामान्य रूप से राजस्व सचिव कहा जाता है, के पद पर नियमित नियुक्ति नहीं हो सकी है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा चकबंदी जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग फिलहाल स्थायी नेतृत्व के अभाव में संचालित हो रहे हैं।

राज्य सरकार के प्रशासनिक ढांचे में राजस्व सचिव का पद मुख्य सचिव के बाद सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली पदों में गिना जाता है। सामान्य तौर पर इस पद पर उसी आईएएस बैच या उससे ठीक नीचे के वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती की जाती है, जो राज्य की भूमि व्यवस्था, राजस्व प्रशासन, आपदा प्रबंधन और चकबंदी से जुड़े अहम निर्णयों की जिम्मेदारी संभालता है। इसके बावजूद फरवरी 2025 से यह पद नियमित रूप से रिक्त बना हुआ है।

दरअसल, 19 फरवरी 2025 को तत्कालीन वित्तायुक्त–राजस्व अनुराग रस्तोगी को हरियाणा का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। इसके बाद से आज तक राज्य सरकार ने राजस्व सचिव के पद पर किसी नियमित अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है। हालांकि इससे विभाग का दैनिक प्रशासन पूरी तरह ठप नहीं हुआ है, लेकिन यह व्यवस्था दीर्घकालिक समाधान नहीं मानी जा सकती।

सरकार द्वारा जारी प्रशासनिक दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग में प्रशासनिक सचिव का पद रिक्त होता है, तो गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव को प्रथम लिंक अधिकारी और वित्त विभाग के प्रशासनिक सचिव को द्वितीय लिंक अधिकारी नामित किया जाता है। इसी व्यवस्था के तहत वर्तमान में गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा चकबंदी विभाग की लिंक ऑफिसर के रूप में जिम्मेदारी निभा रही हैं।

हालांकि प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि लिंक ऑफिसर की व्यवस्था मूल रूप से अस्थायी और अंतरिम होती है, जिसे केवल सीमित अवधि के लिए लागू किया जाना चाहिए। लंबे समय तक किसी प्रमुख विभाग को लिंक व्यवस्था के भरोसे चलाना न केवल प्रशासनिक दबाव बढ़ाता है, बल्कि नीति-निर्धारण और दीर्घकालिक योजनाओं के क्रियान्वयन को भी प्रभावित कर सकता है।

स्थिति केवल राजस्व विभाग तक ही सीमित नहीं है। हरियाणा में पिछले दस महीनों से वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का पद भी नियमित रूप से रिक्त है। फिलहाल इस विभाग का अतिरिक्त कार्यभार स्वयं मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी के पास है। इससे स्पष्ट है कि राज्य की वित्तीय और राजस्व प्रशासनिक संरचना में वरिष्ठ स्तर पर जिम्मेदारियों का अत्यधिक केंद्रीकरण हो गया है।

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री को यह अधिकार प्राप्त है कि वे किस वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपें। बावजूद इसके, मौजूदा परिस्थितियों में यह विषय इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आने वाले समय में देश की जनगणना 2027 की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। हरियाणा में जनगणना से जुड़ा कार्य राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत आता है, जिसके लिए एक पूर्णकालिक और अनुभवी राजस्व सचिव की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

ऐसे में प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि राज्य सरकार को शीघ्र ही अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त–राजस्व के पद पर नियमित नियुक्ति करनी चाहिए, ताकि राजस्व प्रशासन, आपदा प्रबंधन और आगामी जनगणना जैसे संवेदनशील कार्यों को प्रभावी और सुचारु रूप से संचालित किया जा सके। नियमित नियुक्ति न केवल प्रशासनिक स्थिरता लाएगी, बल्कि नीति-निर्धारण और विभागीय समन्वय को भी मजबूती प्रदान करेगी।