“1999 में जब मैं मुख्यमंत्री बना तो पूरा लॉटरी सिस्टम हमने बंद किया था”: प्रो. प्रेम कुमार धूमल का कांग्रेस सरकार पर तीखा प्रहार

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शिमला में हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा हाल ही में लॉटरी प्रणाली को दोबारा शुरू करने के फैसले को लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस निर्णय को हिमाचल के सामाजिक और आर्थिक भविष्य के लिए विनाशकारी करार दिया और चेताया कि यह प्रदेश को बर्बादी की ओर धकेल सकता है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक नीतिगत भूल नहीं बल्कि एक सामाजिक संकट की भूमिका बन सकती है।

धूमल ने याद दिलाया कि वर्ष 1996 में प्रदेश हाईकोर्ट ने सिंगल डिजिट लॉटरी की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद, जब उन्होंने 1998 में मुख्यमंत्री पद संभाला, तो अगले वर्ष 1999 में भाजपा सरकार ने प्रदेश में लॉटरी व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था। उनके अनुसार, उस समय कर्मचारियों, सेवानिवृत्तों, मजदूरों और युवाओं द्वारा लॉटरी में भारी निवेश किया जाने लगा था जिससे उनका वेतन, बचत और पेंशन दांव पर लग गया था। कई परिवार तबाह हो गए थे और लॉटरी एक सामाजिक अभिशाप का रूप लेने लगी थी, जिसे रोकने के लिए यह कठोर कदम उठाया गया था।

उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2004 में कांग्रेस सरकार ने लॉटरी को फिर से शुरू किया, लेकिन बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी इस प्रणाली पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लॉटरी के सामाजिक दुष्प्रभाव सभी सरकारों को समझ आने लगे थे। धूमल ने यह सवाल उठाया कि जब लॉटरी से राज्य को नाममात्र का राजस्व मिलता है, तो फिर इसके सामाजिक नुकसान क्यों उठाए जाएं?

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