दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा राजनीतिक भूचाल उस समय आया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) के 15 निगम पार्षदों ने पार्टी से सामूहिक इस्तीफा देकर एक नए राजनीतिक दल — ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ — के गठन का ऐलान कर दिया। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने न केवल नगर निगम की सत्ता संतुलन को झटका दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली नगर निगम (MCD) की सियासत में अब एक तीसरे मोर्चे की सक्रिय भूमिका की शुरुआत हो चुकी है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इस नए दल की घोषणा की गई, जहां नाराज पार्षदों ने AAP नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए और पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। नए राजनीतिक दल के अध्यक्ष बनाए गए वरिष्ठ पार्षद मुकेश गोयल ने साफ तौर पर कहा कि आम आदमी पार्टी अब जनहित के मुद्दों से भटक चुकी है और निगम में सत्ता का विकेंद्रीकरण पूरी तरह समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा कि MCD जैसी संस्था का गठन ही स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने के लिए हुआ था, लेकिन वर्तमान स्थिति में पार्षदों की कोई सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम पार्षद केवल नाम मात्र के प्रतिनिधि बनकर रह गए हैं, जिनके पास न अधिकार हैं, न ही संसाधन।
गोयल ने AAP नेतृत्व पर एकतरफा फैसले थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है, और निचले स्तर के जनप्रतिनिधियों की बात को नज़रअंदाज़ किया जाता है। उन्होंने इस बात पर भी रोष जताया कि पार्षदों को मात्र 300 रुपये का भत्ता दिया जा रहा है, जबकि घोषित वेतन एक लाख रुपये है — जो कि सिर्फ “लालीपॉप” की तरह दिखाया गया है। इसके बावजूद, बजट और फंडिंग की असल ताकत अधिकारियों के पास ही बनी हुई है, जिससे जनहित के कार्यों पर बुरा असर पड़ा है।
इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के गठन के पीछे रणनीतिक भूमिका निभा रहे हेमचंद गोयल को इस पहल का मुख्य सूत्रधार माना जा रहा है। पार्टी की विचारधारा स्पष्ट रूप से इस बात पर केंद्रित है कि नगर निगम को फिर से जनसरोकारों की संस्था बनाया जाए, जहां पार्षदों को वास्तविक अधिकार हों और निर्णय लेने की शक्ति विकेंद्रीकृत रूप से वितरित हो। यह नई राजनीतिक इकाई न केवल AAP के लिए एक चुनौती बनकर उभरी है, बल्कि बीजेपी और कांग्रेस के लिए भी एक नई सियासी गणित को जन्म दे सकती है।
मुकेश गोयल ने यह भी कहा कि इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी उन नीतियों का समर्थन करेगी जो वास्तव में जनता के हित में हों। उन्होंने संकेत दिया कि यह दल किसी भी पार्टी के साथ हाथ मिला सकता है, बशर्ते उसकी प्राथमिकता जनसेवा हो, न कि केवल सत्ता।
दिल्ली की राजनीति में यह घटनाक्रम एक निर्णायक मोड़ है, जहां परंपरागत दलों के साथ-साथ अब नई राजनीतिक शक्तियों का उदय हो रहा है। इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी की यह पहल आने वाले नगर निगम चुनावों में दिल्ली के मतदाताओं के सामने एक नया विकल्प पेश कर सकती है, जो स्थानीय स्तर पर सशक्त और जवाबदेह नेतृत्व की मांग को पूरा करने का दावा कर रही है।
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