शिमला, 1 अगस्त — हिमाचल प्रदेश ने आधार पंजीकरण के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक की शुरुआत कर दी है। इस नई पहल की शुरुआत मुख्य सचिव प्रभोध सक्सेना ने आज शिमला में सभी विभागीय प्रमुखों और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में की। इस अवसर पर यूआईडीएआई के क्षेत्रीय कार्यालय चंडीगढ़ के उप महानिदेशक कमोडोर (आईएन) धीरज सरीन सहित अन्य वरिष्ठ सचिव भी मौजूद रहे।
मुख्य सचिव ने बैठक में राज्य में आधार कवरेज को शत-प्रतिशत करने पर जोर देते हुए डिजिटल तकनीक एवं शासन विभाग, डाक विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग सहित सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि वे राज्य में उपलब्ध आधार नामांकन किट्स को शीघ्र सक्रिय करें और उनके अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि राज्य में आधार से जुड़ी सभी सेवाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए, विशेषकर बच्चों के अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट के लिए माता-पिता और अभिभावकों को प्रेरित किया जाए।
बैठक में बताया गया कि हिमाचल प्रदेश देशभर में उन बच्चों (0 से 5 वर्ष की आयु) के आधार पंजीकरण में अग्रणी राज्य बना हुआ है। जहां राष्ट्रीय औसत 39 प्रतिशत है, वहीं हिमाचल प्रदेश ने 56 प्रतिशत पंजीकरण कर इस क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। पिछले तीन महीनों में राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है और 5.5 लाख लंबित बायोमेट्रिक अपडेट को घटाकर 4.75 लाख तक लाया गया है। इसके लिए शिक्षा विभाग के सहयोग से स्कूलों में विशेष शिविरों का आयोजन किया गया है।
मुख्य सचिव ने निजी स्कूलों को भी इस अभियान में शामिल करने का निर्देश दिया ताकि बायोमेट्रिक अपडेट की शेष प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जा सके। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, डिजिटल तकनीक एवं शासन विभाग और इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक को निर्देशित किया कि वे 0 से 5 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के आधार पंजीकरण के लिए टीकाकरण केंद्रों पर आधार किट्स तैनात करें और इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करें।
इस अवसर पर कमोडोर धीरज सरीन ने यह भी बताया कि आधार SWIK (Social, Welfare, Innovation, Knowledge) नियमों में हुए नए संशोधनों के तहत अब निजी संस्थाएं जैसे होटल, अस्पताल, ट्रैवल एजेंसियां भी संबंधित राज्य विभाग की अनुमति से आधार ऑथेंटिकेशन का उपयोग कर सकती हैं।
मुख्य सचिव ने सभी विभागों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सभी सेवाओं में लाभार्थियों की आधार आधारित पहचान अनिवार्य रूप से की जाए और आधार अपडेट से जुड़े दस्तावेजों को डिजिटाइज़ किया जाए, ताकि राज्य प्रशासनिक व्यवस्था को और पारदर्शी तथा दक्ष बनाया जा सके।