Haryana Vidhan Sabha: लोकतांत्रिक प्रणाली में विधायिका की भूमिका अहम – कुलदीप पठानियां

Haryana Vidhan Sabha: लोकतांत्रिक प्रणाली में विधायिका की भूमिका अहम – कुलदीप पठानियां

हरियाणा विधानसभा में लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती पर जोर देते हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने विधायकों की भूमिका, जिम्मेदारियों और आधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। विधानसभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (PRIDE) द्वारा हरियाणा विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए पठानियां ने कहा कि समय के साथ व्यवस्थाएँ बदलती हैं और विधायिका की जिम्मेदारियाँ भी बढ़ती हैं।

उन्होंने बताया कि जब भारत स्वतंत्र हुआ था, तब देश की जनसंख्या लगभग 34 करोड़ थी, लेकिन अब यह 140 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। इस बढ़ती जनसंख्या के साथ सांसदों और विधायकों की जिम्मेदारियाँ भी बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग तकनीक-प्रधान है, जिसमें डिजिटल इंडिया अभियान के माध्यम से पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है। ऐसे में विधायकों को भी टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना होगा, ताकि वे अपने कर्तव्यों का सही तरह से निर्वहन कर सकें।

लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए विधायकों को अनुशासन में रहना होगा। विधानसभा की बैठकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ, उन्हें बैठकों में सक्रिय भागीदारी निभानी होगी और सार्थक चर्चाओं में हिस्सा लेना होगा। उन्होंने कहा कि विधायकों को समिति बैठकों में भी भाग लेना चाहिए और उनमें रुचि लेनी चाहिए, क्योंकि ये समितियाँ नीतियों और कानूनों को सही दिशा देने में अहम भूमिका निभाती हैं।

पठानियां ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा देश की पहली ई-विधान प्रणाली को अपनाने वाली विधानसभा है और अब डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत सभी राज्यों में नेशनल ई-विधान प्रणाली (NEVA) को लागू किया जा रहा है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि विधायकों को समय के साथ चलना होगा और विधानसभा सत्रों के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याओं और विकास कार्यों को उठाने के लिए सदन के समय का सदुपयोग करना चाहिए। विधायकों को उन विषयों और सरकारी विधेयकों पर पहले से अध्ययन करना चाहिए, जिन पर चर्चा होनी है, ताकि वे अपने सुझाव देकर नीति निर्माण में योगदान दे सकें।

उन्होंने कहा कि आज का दौर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का है। ये तकनीकी नवाचार न केवल उद्योगों को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि लोगों के जीवन, कार्य प्रणाली और तकनीकी विकास को भी आकार दे रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग केवल भविष्य की अवधारणाएँ नहीं हैं, बल्कि ये वर्तमान और भविष्य की प्रगति का आधार बन चुके हैं। चाहे छात्र हों, पेशेवर हों या उद्यमी, सभी को इन तकनीकों को समझने और अपनाने की आवश्यकता है। हमें इन तकनीकों से डरने के बजाय जिज्ञासा और जिम्मेदारी के साथ इनका उपयोग करना चाहिए, ताकि भविष्य में प्रतिस्पर्धा में आगे बने रह सकें।

उन्होंने जोर देकर कहा कि विधायक लोकतांत्रिक प्रणाली की महत्वपूर्ण कड़ी हैं, जो अपने निर्वाचन क्षेत्र की आवश्यकताओं और समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए उनका समाधान सुनिश्चित करते हैं। उनकी भूमिका सिर्फ कानून निर्माण और बजट को पारित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि वे राज्य और देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विधायकों की जवाबदेही और सक्रिय भागीदारी से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां को शॉल और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर पूर्व संयुक्त सचिव लोकसभा रविंद्र गरिमेला ने संसदीय विशेषाधिकारों पर अपने विचार रखे, जबकि अतिरिक्त सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय ई-विधान प्रणाली (NEVA) पर जानकारी दी। कार्यक्रम में हरियाणा विधानसभा के 45 विधायक उपस्थित थे, जिन्होंने इस चर्चा से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की।

यह क्यों महत्वपूर्ण है?

लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए विधायकों का प्रशिक्षित और जागरूक होना आवश्यक है। यह कार्यक्रम विधायकों को उनकी जिम्मेदारियों, तकनीकी नवाचारों और संसदीय प्रक्रियाओं की गहरी समझ प्रदान करता है। डिजिटल इंडिया और ई-विधान प्रणाली जैसे कदम विधायकों की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं।

इसके क्या परिणाम हो सकते हैं?

  • विधायकों की जिम्मेदारियाँ और जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी।
  • डिजिटल इंडिया और ई-विधान प्रणाली को अपनाने से संसदीय कार्य अधिक प्रभावी और व्यवस्थित होंगे।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने से विधायकों की दक्षता और निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होगी।
  • विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याओं को अधिक प्रभावी तरीके से सदन में उठा सकेंगे, जिससे जनहित के मुद्दों का समाधान तेजी से होगा।
  • जनता को जागरूकता बढ़ेगी और वे अपने जनप्रतिनिधियों से अधिक जवाबदेही की उम्मीद करेंगे, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था अधिक सशक्त होगी।

हरियाणा विधानसभा में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल विधायकों के ज्ञान को समृद्ध करते हैं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी मजबूत बनाते हैं।

 

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