“राजेंद्र राणा का सुक्खू सरकार पर निशाना: वीरभद्र सिंह का आकलन था बिल्कुल सटीक”

“राजेंद्र राणा का सुक्खू सरकार पर निशाना: वीरभद्र सिंह का आकलन था बिल्कुल सटीक”

हमीरपुर, 7 मार्च – हिमाचल प्रदेश के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह द्वारा सुक्खू के नेतृत्व पर किया गया आकलन बिल्कुल सही साबित हुआ है। राणा ने कहा कि स्व. वीरभद्र सिंह की राजनीतिक सूझबूझ और दूरदर्शिता ने उन्हें सुक्खू की कार्यशैली का सटीक अनुमान लगाने की क्षमता दी थी, और यही कारण था कि वीरभद्र सिंह ने अपने कार्यकाल में कभी भी सुखविंदर सिंह सुक्खू को किसी निगम बोर्ड का अध्यक्ष तक नहीं बनाया था। राणा ने कहा कि वीरभद्र सिंह अक्सर यह कहते थे कि अगर सुक्खू के हाथों प्रदेश की सत्ता आ गई तो हिमाचल प्रदेश को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अब जब सुक्खू सरकार को सत्ता में दो साल हो चुके हैं, तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति, विकास में सुस्ती, और प्रशासनिक विफलताओं को देखते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि वीरभद्र सिंह का आकलन पूरी तरह से सही था। राजेंद्र राणा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी खजाने का जमकर दुरुपयोग किया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस चुका है। राणा ने आरोप लगाया कि सरकार की गलत नीतियों के चलते विकास कार्य रुक गए हैं और कई महत्वपूर्ण योजनाओं को बीच में ही रोक दिया गया है, जिससे आम जनता को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया और कहा कि सुक्खू सरकार ने झूठी गारंटी देकर जनता से धोखा किया है। सरकारी नौकरियों के दरवाजे युवाओं के लिए बंद कर दिए गए हैं, जबकि कुछ चुनिंदा लोगों को नियमों को ताक पर रखकर नौकरी दी जा रही है। राणा ने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। पेंशनधारियों को समय पर पेंशन नहीं मिल रही है, सरकारी कर्मचारियों को वेतन और एरियर का भुगतान लंबित है और मेडिकल बिलों का भुगतान भी देर से किया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

राजेंद्र राणा ने प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और कहा कि वर्तमान सरकार में राजनीतिक प्रबंधन की बजाय भ्रष्टाचार और पक्षपाती नीतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की जनता बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन सरकार अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने में व्यस्त है। राणा ने यह भी कहा कि जो मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को सूझबूझ और दूरदर्शिता के साथ विकास की दिशा में आगे बढ़ा रहे थे, सुक्खू सरकार उसी विकास को रोकने का काम कर रही है। प्रदेश की जनता ने जो उम्मीदें कांग्रेस सरकार से लगाई थीं, वह अब पूरी तरह से धराशायी हो चुकी हैं।

राणा ने अंत में कहा कि समय ने यह साबित कर दिया कि वीरभद्र सिंह का आकलन सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी थी। उन्होंने कहा कि यदि सुक्खू सरकार की नीतियां इसी तरह रहीं, तो आने वाले समय में हिमाचल को और भी गंभीर संकटों का सामना करना पड़ सकता है।

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