हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोशल मीडिया पर बढ़ती झूठी और भ्रामक खबरों को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पत्रकारिता एक जिम्मेदार पेशा है, लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ सोशल मीडिया ब्लॉगर और स्वयंभू पत्रकार इसे सनसनी फैलाने का माध्यम बना रहे हैं, जो समाज के लिए घातक और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “खबरें गढ़ने का मकसद समाज को दिशा देना होना चाहिए, न कि अफवाहों और डर का माहौल बनाना। सोशल मीडिया पर तथ्यों की पुष्टि किए बिना किसी भी मुद्दे को वायरल करने की प्रवृत्ति बेहद चिंताजनक है और यह पत्रकारिता की मूल आत्मा के विरुद्ध है।”
मुख्यमंत्री सुक्खू ने हाल ही में सामने आए पालमपुर के चर्चित सोशल मीडिया पत्रकार रिश्वत मामले का जिक्र करते हुए इसे शर्मनाक और पत्रकारिता की प्रतिष्ठा को कलंकित करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि “किसी भी पत्रकार द्वारा किसी खबर को न छापने या उसे वायरल करने के बदले पैसे मांगना न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि समाज की सूचना प्रणाली में जहर घोलने जैसा है।”
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार सचिवालय स्तर पर सोशल मीडिया पत्रकारिता को विनियमित करने के लिए एक नया नियमावली तैयार कर रही है, जिसके तहत इस क्षेत्र में जवाबदेही, प्रमाणिकता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए डिजिटल मीडिया कानूनों के तहत अब सोशल मीडिया पर झूठी खबर फैलाने पर व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की जाएगी और दोषी पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से आह्वान किया कि वे तथ्यों की पुष्टि किए बिना खबर प्रकाशित न करें और समाज की भलाई के लिए सच और संतुलित सूचनाएं ही जन-जन तक पहुंचाएं। उन्होंने यह भी कहा कि “अगर आप एक पत्रकार हैं और आपके पास सत्य है, तो उसे प्रकाशित करना सिर्फ आपका अधिकार नहीं, कर्त्तव्य भी है। पत्रकारिता का मूल धर्म सत्य के साथ खड़ा होना है, न कि त्वरित वायरलता के लोभ में सच्चाई से समझौता करना।”
मुख्यमंत्री के इस सख्त रुख को प्रदेश के अनेक पत्रकार संगठनों और सामाजिक विचारकों ने सकारात्मक पहल बताया है। इससे सोशल मीडिया पत्रकारिता में अनुशासन और पेशेवर आचरण की पुनः स्थापना की उम्मीद जगी है।
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